व्याकुल विलाप's image
0217

व्याकुल विलाप

ShareBookmarks

व्याकुल विलाप
हे प्रभु मेरी ओर निहार।
एक अविद्या का अटका है, पचरंगी परिवार,
मेल मिलाय एषणा तीनों, करती हैं कुविचार।
काट रहे कामादि कुचाली, धार कुकर्म कुठार,
जीवन-वृक्ष खसाया, सूखा पौरुष-पाल-पसार।
घेर रहे वैरी विषयों के, बन्धन रूप विकार,
लाद दिये सब ने पापों के, सिर पर भारी भार।
जो तू करता है पतितों का, अपनाकर उद्धार,
तो ‘शंकर’ मुझ पापी को भी, भव-सागर से तार।

 

Read More! Learn More!

Sootradhar