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एक नज़्म दिसम्बर के महीने में - नज़्म

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बारिशों के मौसम सब

शाम के दरीचों पर

ज़र्द रौशनी ले कर

मेरे सहन में उतरे

भीगते दरख़्तों की

दिल-गिरफ़्ता ख़ुशबू के

बे-सुकून साए में

उस के ग़म का मेला है

और दिल अकेला है

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Sootradhar