
बारिशों के मौसम सब
शाम के दरीचों पर
ज़र्द रौशनी ले कर
मेरे सहन में उतरे
भीगते दरख़्तों की
दिल-गिरफ़्ता ख़ुशबू के
बे-सुकून साए में
उस के ग़म का मेला है
और दिल अकेला है
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बारिशों के मौसम सब
शाम के दरीचों पर
ज़र्द रौशनी ले कर
मेरे सहन में उतरे
भीगते दरख़्तों की
दिल-गिरफ़्ता ख़ुशबू के
बे-सुकून साए में
उस के ग़म का मेला है
और दिल अकेला है