सख़्तियाँ करता's image
0188

सख़्तियाँ करता

ShareBookmarks

सख़्तियाँ करता हूँ दिल पर ग़ैर से ग़ाफ़िल हूँ मैं

हाए क्या अच्छी कही ज़ालिम हूँ मैं जाहिल हूँ मैं

मैं जभी तक था कि तेरी जल्वा-पैराई न थी

जो नुमूद-ए-हक़ से मिट जाता है वो बातिल हूँ मैं

इल्म के दरिया से निकले ग़ोता-ज़न गौहर-ब-दस्त

वाए महरूमी ख़ज़फ़ चैन लब साहिल हूँ मैं

है मिरी ज़िल्लत ही कुछ मेरी शराफ़त की दलील

जिस की ग़फ़लत को मलक रोते हैं वो ग़ाफ़िल हूँ मैं

बज़्म-ए-हस्ती अपनी आराइश पे तू नाज़ाँ न हो

तू तो इक तस्वीर है महफ़िल की और महफ़िल हूँ मैं

ढूँढता फिरता हूँ मैं 'इक़बाल' अपने-आप को

आप ही गोया मुसाफ़िर आप ही मंज़िल हूँ मैं

Read More! Learn More!

Sootradhar