![इस राज़ को इक's image](/images/post_og.png)
इस राज़ को इक मर्द-ए-फ़रंगी ने किया फ़ाश
हर-चंद कि दाना इसे खोला नहीं करते
जम्हूरियत इक तर्ज़-ए-हुकूमत है कि जिस में
बंदों को गिना करते हैं तौला नहीं करते
Read More! Learn More!
इस राज़ को इक मर्द-ए-फ़रंगी ने किया फ़ाश
हर-चंद कि दाना इसे खोला नहीं करते
जम्हूरियत इक तर्ज़-ए-हुकूमत है कि जिस में
बंदों को गिना करते हैं तौला नहीं करते