इस राज़ को इक's image
0111

इस राज़ को इक

ShareBookmarks

इस राज़ को इक मर्द-ए-फ़रंगी ने किया फ़ाश

हर-चंद कि दाना इसे खोला नहीं करते

जम्हूरियत इक तर्ज़-ए-हुकूमत है कि जिस में

बंदों को गिना करते हैं तौला नहीं करते

Read More! Learn More!

Sootradhar