नहिं भावै थांरो देसड़लो जी रंगरूड़ो's image
1K

नहिं भावै थांरो देसड़लो जी रंगरूड़ो

ShareBookmarks

नहिं भावै थांरो देसड़लो जी रंगरूड़ो॥

थांरा देसा में राणा साध नहीं छै, लोग बसे सब कूड़ो।
गहणा गांठी राणा हम सब त्यागा, त्याग्यो कररो चूड़ो॥

काजल टीकी हम सब त्याग्या, त्याग्यो है बांधन जूड़ो।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर बर पायो छै रूड़ो॥

राग खम्माच

शब्दार्थ :- थांरो = तुम्हारा। देसलड़ो = देश। रंग रूड़ो =विचित्र। साध =साधु संत। कूड़ो =निकम्मा। कररो = हाथ का। टीकी =बिन्दी जूड़ो =जूड़ा वेणी। रूडो =सुंदर।

Read More! Learn More!

Sootradhar