इधर से अब्र उठकर जो गया है's image
0290

इधर से अब्र उठकर जो गया है

ShareBookmarks

इधर से अब्र उठकर जो गया है
हमारी ख़ाक पर भी रो गया है

मसाइब और थे पर दिल का जाना
अजब इक सानीहा सा हो गया है

मुकामिर-खाना-ऐ-आफाक वो है
के जो आया है याँ कुछ खो गया है

सरहाने 'मीर' के आहिस्ता बोलो
अभी टुक रोते-रोते सो गया है

Read More! Learn More!

Sootradhar