गुल को महबूब में क़यास किया's image
0143

गुल को महबूब में क़यास किया

ShareBookmarks

गुल को महबूब में क़यास किया
फ़र्क़ निकला बहोत जो बास किया

दिल ने हम को मिसाल-ए-आईना
एक आलम से रू-शिनास किया

कुछ नहीं सूझता हमें उस बिन
शौक़ ने हम को बे-हवास किया

सुबह तक शमा सर को ढुँढती रही
क्या पतंगे ने इल्तेमास किया

ऐसे वहाशी कहाँ हैं अए ख़ुबाँ
'मीर' को तुम ने अबस उदास किया

 

Read More! Learn More!

Sootradhar