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पिसे हैं दिल ज़ियादा-तर हिना से

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पिसे हैं दिल ज़ियादा-तर हिना से

चला दो गाम भी जब वो अदा से

वो बुत आए इधर भी भूल कर राह

दुआ ये माँगता हूँ मैं ख़ुदा से

हिजाब उस का हुआ शब माने-ए-दीद

नक़ाब उल्टी चेहरे की हया से

इशारा ख़ंजर-ए-अबरू का बस था

मुझे मारा अबस तेग़-ए-जफ़ा से

बहुत बल खा रही है ज़ुल्फ़-ए-जानाँ

बचेगी जान क्यूँ कर इस बला से

है बेहतर इक करिश्मे में हों दो काम

मदीने जाऊँ राह-ए-कर्बला से

ख़ुदा जब बे-तलब बर लाए मक़्सद

उठाऊँ क्यूँ हाथ अपने दुआ से

'निज़ाम' अब उक़्दा-ए-दिल क्यूँ हल हों

मोहब्बत है तुझे मुश्किल-कुशा से

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Sootradhar