
हम जानते हैं कि हम कितने कुटिल और धूर्त हैं ।
हम जानते हैं कि हम कितने झूठ बोलते आए हैं ।
हम जानते हैं कि हमने कितनी हत्याएँ की हैं,
कितनों को बेवजह मारा-पीटा है, सताया है
औरतों और बच्चों को भी हमने नहीं बख़्शा,
जब लोग रोते-बिलखते थे हम उनके घरों को लूटते थे
चलता रहा हमारा खेल परदे पर और परदे के पीछे भी ।
हमसे ज़्यादा कोई नहीं जानता हमारे कारनामों का कच्चा-चिट्ठा
इसीलिए हमें उनकी परवाह नहीं
जो जानते हैं हमारी असलियत ।
हम जानते हैं कि हमारा खेल इस पर टिका है
कि बहुत से लोग हैं जो हमारे बारे में बहुत कम जानते हैं
या बिलकुल नहीं जानते ।
और बहुत से लोग हैं जो जानते हैं
कि हम जो भी करते हैं, अच्छा करते हैं
वे ख़ुद भी यही करना चाहते हैं ।
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