![मैं ग़ज़ल हूँ मुझे जब आप सुना करते हैं's image](/images/post_og.png)
मैं ग़ज़ल हूँ मुझे जब आप सुना करते हैं
चंद लम्हे मिरा ग़म बाँट लिया करते हैं
जब वफ़ा करते हैं हम सिर्फ़ वफ़ा करते हैं
और जफ़ा करते हैं जब सिर्फ़ जफ़ा करते हैं
लोग चाहत की किताबों में छुपा कर चेहरे
सिर्फ़ जिस्मों की ही तहरीर पढ़ा करते हैं
लोग नफ़रत की फ़ज़ाओं में भी जी लेते हैं
हम मोहब्बत की हवा से भी डरा करते हैं
अपने बच्चों के लिए लाख ग़रीबी हो मगर
माँ के पल्लू में कई सिक्के मिला करते हैं
जो कभी ख़ुश न हुए देख के शोहरत मेरी
मेरे अपने हैं मुझे प्यार किया करते हैं
जिन के जज़्बात हूँ नुक़सान नफ़अ' की ज़द में
उन के दिल में कई बाज़ार सजा करते हैं
फिक्र-ओ-एहसास पे पर्दा है 'हया' का वर्ना
हम ग़लत बात न सुनते न कहा करते हैं
Read More! Learn More!