हर क़दम हादसे हर नफ़्स तल्ख़ियाँ's image
0339

हर क़दम हादसे हर नफ़्स तल्ख़ियाँ

ShareBookmarks
 

हर क़दम हादसे हर नफ़्स तल्ख़ियाँ

ज़िंदगी बर्क़ तूफ़ाँ ख़िज़ाँ आँधियाँ

रफ़्ता रफ़्ता यही बोझ लगने लगीं

क्यूँ बड़ी हो गईं माँ तिरी बेटियाँ

मेरी दुनिया तिरी ज़ात में क़ैद है

मुझ को ख़ैरात में दे आज़ादियाँ

तीरगी ख़ामुशी बेबसी तिश्नगी

हिज्र की रात में ख़ामियाँ ख़ामियाँ

आप ही आंधियों से उलझते रहे

मैं तो लाई थी दामन में पुरवाइयाँ

मैं किताबों में रख्खूँ ये फ़ितरत नहीं

फूल सूखे हुए बे-ज़बाँ तितलियाँ

ये सहीफ़ा नहीं मेरी रूदाद है

इस का उनवान है तल्ख़ियाँ तल्ख़ियाँ

याद क्या है कोई मुझ से पूछे 'हया'

एक एहसास की चंद परछाइयाँ

 
Read More! Learn More!

Sootradhar