
ज़िंदगी सोज़ बने साज़ न होने पाए
दिल तो टूटे मगर आवाज़ न होने पाए
दर्द अगर शामिल-ए-आवाज़ न होने पाए
कोई मोनिस कोई दम-साज़ न होने पाए
जाम से कुछ को पिला कुछ को निगाहों से मगर
कोई मय-कश नज़र-अंदाज़ न होने पाए
लुत्फ़ जब है कि रहे इश्क़ सदा महव-ए-नियाज़
और इस बात पे भी नाज़ न होने पाए
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