घटा है बाग़ है मय है सुबू है जाम है साक़ी's image
0131

घटा है बाग़ है मय है सुबू है जाम है साक़ी

ShareBookmarks

घटा है बाग़ है मय है सुबू है जाम है साक़ी

अब इस के ब'अद जो कुछ है वो तेरा काम है साक़ी

उमीद-ए-वस्ल रखना इक ख़याल-ए-ख़ाम है साक़ी

बुरा तो कुछ नहीं लेकिन मज़ाक़-ए-आम है साक़ी

फ़लक दुश्मन मुख़ालिफ़ गर्दिश-ए-अय्याम है साक़ी

मगर हम हैं तिरी महफ़िल है दौर-ए-जाम है साक़ी

जो अपनी हर नज़र से इक ख़ुदा तख़्लीक़ करते हैं

उन्हें दैर ओ हरम सी चीज़ से क्या काम है साक़ी

उदासी सर्द आहें कर्ब हसरत दर्द मजबूरी

मोहब्बत तल्ख़ियों का एक शीरीं नाम है साक़ी

जिन्हें शौक़-ए-तलब है और जिन्हें ज़ौक़-ए-तजस्सुस है

उन्हें कोह-ओ-बयाबाँ मंज़िल-ए-यक-गाम है साक़ी

Read More! Learn More!

Sootradhar