
अम्बर के पहरे हों,
पुरुवा के दामन पर दाग बहुत गहरे हों,
सागर के माॅंझी मत मन को तू हारना,
जीवन के क्रम में जो खोया है पाना है।
पतझर का मतलब है फिर बसन्त आना है।
राजवंश रूठे तो!
राजमुकुट टूटे तो!
सीतापति राघव से राजमहल छूटे तो!
आशा मत हार,
पर सागर के एक बार,
पत्थर में प्राण फॅंूक सेतु फिर बनाना है
अॅधियारे के आगे,दीप फिर जलाना है।
पतझर का मतलब है फिर बसन्त आना है।
घर भर चाहे छोड़े,
सूरज भी मुह मोड़े!
विदुर रहें मौन, छिने राज्य, स्वर्ण रथ, घोड़े
मांॅ का बस प्यार,सार गीता का साथ रहे,
पंचतत्व सौ पर हैं भारी बतलाना है।
जीवन का राजसूय यज्ञ फिर कराना है।
पतझर का मतलब है फिर बसन्त आना है।
September 15, 2014 | Facebook Wall (Dr. Kumar Vishwas)
Read More! Learn More!