बिजली चमकी, पानी गिरने का डर है
वे क्यों भागे जाते हैं जिनके घर हैं
वे क्यों चुप हैं जिनको आती है भाषा
वह क्या है जो दिखता है धुआँ-धुआँ-सा
वह क्या है हरा-हरा-सा जिसके आगे
हैं उलझ गए जीने के सारे धागे
यह शहर कि जिसमें रहती है इच्छाएं
कुत्ते-भुनगे-आदमी-गिलहरी-गाएं
यह शहर कि जिसकी जिद है सीधी-सादी
ज्यादा-से-ज्यादा सुख सुविधा आजादी
तुम कभी देखना इसे सुलगते क्षण में
यह अलग-अलग दिखता है हर दर्पण में
कुत्ते-भुनगे-आदमी-गिलहरी-गाएं
यह शहर कि जिसकी जिद है सीधी-सादी
ज्यादा-से-ज्यादा सुख सुविधा आजादी
तुम कभी देखना इसे सुलगते क्षण में
यह अलग-अलग दिखता है हर दर्पण में
साथियों, रात आई, अब मैं जाता हूं
इस आने-जाने का वेतन पाता हूं
जब आंख लगे तो सुनना धीरे-धीरे
किस तरह रात-भर बजती हैं जंजीरें
इस आने-जाने का वेतन पाता हूं
जब आंख लगे तो सुनना धीरे-धीरे
किस तरह रात-भर बजती हैं जंजीरें
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