झुकत कृपान मयदान's image
0306

झुकत कृपान मयदान

ShareBookmarks

झुकत कृपान मयदान ज्यों उदोत भान,
एकन ते एक मान सुषमा जरद की.
कहै कवि गंग तेरे बल को बयारि लगे,
फूटी गजघटा घनघटा ज्यों सरद की.
एन मान सोनित की नदियाँ उमड़ चलीं,
रही न निसानी कहूँ महि में गरद की.
गौरी गह्यो गिरिपति, गनपति गह्यो गौरी,
गौरीपति गही पूँछ लपकि बरद की.

 

Read More! Learn More!

Sootradhar