देखत कै वृच्छन में दीरघ's image
0160

देखत कै वृच्छन में दीरघ

ShareBookmarks

देखत कै वृच्छन में दीरघ सुभायमान,
कीर चल्यो चाखिबे को प्रेम जिय जग्यो है.
लाल फल देखि कै जटान मँड़रान लागे,
देखत बटोही बहुतेरे डगमग्यो है.
गंग कवि फल फूटे भुआ उधिराने लखि,
सबही निरास ह्वै कै निज गृह भग्यो है.
ऐसो फलहीन वृच्छ बसुधा में भयो, यारो,
सेंमर बिसासी बहुतेरन को ठग्यो है.

Read More! Learn More!

Sootradhar