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शबनम में चाँदनी में गुलाबों में आएगा

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शबनम में चाँदनी में गुलाबों में आएगा

अब तेरा ज़िक्र सारी किताबों में आएगा

जो लम्हा खो गया है उसे फिर न ढूँढना

जो चाँद ढल चुका है वो ख़्वाबों में आएगा

दुख दे रही हैं उस की ये बर्फ़ीली आदतें

पिघलेगा एक दिन तो शराबों में आएगा

पहचान भी सकोगे नहीं अपने नाम को

आएगा भी तो इतने हिजाबों में आएगा

जब तेरा नाम हुस्न की तारीख़ बन गया

फिर मेरा ज़िक्र दिल की किताबों में आएगा

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Sootradhar