आभाष's image
0166

आभाष

ShareBookmarks


उसने शीशे मैं झाँका
पूरी दुनिया तिर रही थी उसके आँखों में,
उसने जुबान फेरी
उसके होठों पर था अब दुनिया का स्वाद,
उसने खुद को टटोला तो महसूस किया कि
पूरी दुनिया आ बसी थी उसके अंदर,
पर वह हैरान कि
वह दुनिया से बाहर कैसे?
तभी एक गौरैया आकर
उसकी पेशानी पर ठोकरें मारती है
और वह दरकता चला जाता है
एक बीजावरण की तरह,
एक तीखी हरी गंध फैल जाती है उसके चारो तरफ,
और उसे महसूस होता है कि
वह अभी-अभी पैदा हुआ है,
एक पूर्वाभास के साथ

Read More! Learn More!

Sootradhar