हर चोट पे पूछे है's image
0228

हर चोट पे पूछे है

ShareBookmarks

हर चोट पे पूछे है बता याद रहेगी
हम को ये ज़माने की अदा याद रहेगी

दिन रात के आँसू सहर ओ शाम की आहें
इस बाग की ये आब ओ हवा याद रहेगी

किस धूम से बढ़ती हुई पहुँची है कहाँ तक
दुनिया को तेरी जुल्फ-ए-रसा याद रहेगी

करते रहेंगे तुम से मोहब्बत भी वफा भी
गो तुम को मोहब्बत न वफा याद रहेगी

किस बात का तू कौल ओ कसम ले है बरहमन
हर बात बुतों की ब-ख़ुदा याद रहेगी

चलतें गए हम फूल को बनाते गए छाले
सहरा को मेरी लग्ज़िश-ए-पा याद रहेगी

जिस बज़्म में तुम जाओगे उस बज़्म को ‘अज़िज’
ये गुफ्तुगू-ए-बे-सर-ओ-पा याद रहेगी

Read More! Learn More!

Sootradhar