जहाँ कुछ दर्द का मज़कूर होगा's image
086

जहाँ कुछ दर्द का मज़कूर होगा

ShareBookmarks

जहाँ कुछ दर्द का मज़कूर होगा

हमारा शेर भी मशहूर होगा

जहाँ में हुस्न पर दो दिन के ऐ गुल

कोई तुझ सा भी कम मग़रूर होगा

पड़ेंगे यूँ ही संग-ए-तफ़रक़ा गर

तो इक दिन शीशा-ए-दिल चूर होगा

मुझे कल ख़ाक-अफ़्शाँ देख बोला

यही उश्शाक़ का दस्तूर होगा

हुआ हूँ मर्ग के नज़दीक ग़म से

ख़ुदा जाने ये किस दिन दूर होगा

वही समझेगा मेरे ज़ख़्म-ए-दिल को

जिगर पर जिस के इक नासूर होगा

हमें पैमाना तब ये देगा साक़ी

कि जाम-ए-उम्र जब मामूर होगा

जो यूँ ग़म नीश-ज़न हर दम रहेगा

तो फिर दिल ख़ाना-ए-ज़ंबूर होगा

यही रोना है गर मंज़ूर 'जुरअत'

तो बीनाई से तू मअज़ूर होगा

Read More! Learn More!

Sootradhar