अब ख़ाक तो किया है दिल को जला जला कर's image
0191

अब ख़ाक तो किया है दिल को जला जला कर

ShareBookmarks

अब ख़ाक तो किया है दिल को जला जला कर

करते हो इतनी बातें क्यूँ तुम बना बना कर

आशिक़ के घर की तुम ने बुनियाद को बिठाया

ग़ैरों को पास अपने हर दम बिठा बिठा कर

ये भी कोई सितम है ये भी कोई करम है

ग़ैरों पे लुत्फ़ करना हम को दिखा दिखा कर

ऐ बुत न मुझ को हरगिज़ कूचे से अब उठाना

आया हूँ याँ तलक मैं ज़ालिम ख़ुदा ख़ुदा कर

देता हूँ मैं इधर जी अपना तड़प तड़प कर

देखे है वो उधर को आँखें चुरा चुरा कर

कोई आश्ना नहीं है ऐसा कि बा-वफ़ा हो

कहते हो तुम ये बातें हम को सुना सुना कर

जलता था सीना मेरा ऐ शम्अ तिस पे तू ने

दूनी लगाई आतिश आँसू बहा बहा कर

इक ही निगाह कर कर सीने से ले गया वो

हर-चंद दिल को रक्खा हम ने छुपा छुपा कर

जुरअत ने आख़िर अपने जी को भी अब गँवाया

इन बे-मुरव्वतों से दिल को लगा लगा कर

Read More! Learn More!

Sootradhar