![घाटी की चिंता's image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/sootradhar_post/gupt_jag.jpg)
सरिता जल में
पैर डाल कर
आँखें मूंदे, शीश झुकाए
सोच रही है कब से
बादल ओढ़े घाटी।
कितने तीखे अनुतापों को
आघातों को
सहते-सहते
जाने कैसे असह दर्द के बाद-
बन गई होगी पत्थर
इस रसमय धरती की माटी।
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सरिता जल में
पैर डाल कर
आँखें मूंदे, शीश झुकाए
सोच रही है कब से
बादल ओढ़े घाटी।
कितने तीखे अनुतापों को
आघातों को
सहते-सहते
जाने कैसे असह दर्द के बाद-
बन गई होगी पत्थर
इस रसमय धरती की माटी।