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बे-सम्त रास्तों पे सदा ले गई मुझे

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बे-सम्त रास्तों पे सदा ले गई मुझे

आहट मगर जुनूँ की बचा ले गई मुझे

पत्थर के जिस्म मोम के चेहरे धुआँ धुआँ

किस शहर में उड़ा के हवा ले गई मुझे

माथे पे उस के देख के लाली सिंदूर की

ज़ख़्मों की अंजुमन में हिना ले गई मुझे

ख़ुशबू पिघलते लम्हों की साँसों में खो गई

ख़ुशबू की वादियों में सबा ले गई मुझे

जो लोग भीक देते हैं चेहरे को देख कर

'ज़र्रीं' उन्हीं के दर पे अना ले गई मुझे

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Sootradhar