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हमें वक़्फ़-ए-ग़म सर-ब-सर देख लेते

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हमें वक़्फ़-ए-ग़म सर-ब-सर देख लेते

वो तुम कुछ न करते मगर देख लेते

न करते कभी ख़्वाहिश-ए-सैर-ए-जन्नत

जो वाइज़ तिरा रहगुज़र देख लेते

रसाई कहाँ बज़्म-ए-दुश्मन में अपनी

कि हम भी उन्हें इक नज़र देख लेते

तमन्ना को फिर कुछ शिकायत न रहती

जो तुम भूल कर भी इधर देख लेते

न रहती ख़बर दीन ओ दुनिया की 'हसरत'

जो सोते उन्हें बे-ख़बर देख लेते

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Sootradhar