ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा's image
0502

ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा

ShareBookmarks

ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा

क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा

अपने साए से चौंक जाते हैं

उम्र गुज़री है इस क़दर तन्हा

रात भर बातें करते हैं तारे

रात काटे कोई किधर तन्हा

डूबने वाले पार जा उतरे

नक़्श-ए-पा अपने छोड़ कर तन्हा

दिन गुज़रता नहीं है लोगों में

रात होती नहीं बसर तन्हा

हम ने दरवाज़े तक तो देखा था

फिर न जाने गए किधर तन्हा

Read More! Learn More!

Sootradhar