कोई अटका हुआ है पल शायद's image
0239

कोई अटका हुआ है पल शायद

ShareBookmarks

कोई अटका हुआ है पल शायद

वक़्त में पड़ गया है बल शायद

लब पे आई मिरी ग़ज़ल शायद

वो अकेले हैं आज-कल शायद

दिल अगर है तो दर्द भी होगा

इस का कोई नहीं है हल शायद

जानते हैं सवाब-ए-रहम-ओ-करम

उन से होता नहीं अमल शायद

आ रही है जो चाप क़दमों की

खिल रहे हैं कहीं कँवल शायद

राख को भी कुरेद कर देखो

अभी जलता हो कोई पल शायद

चाँद डूबे तो चाँद ही निकले

आप के पास होगा हल शायद

Read More! Learn More!

Sootradhar