हवा के सींग न पकड़ो खदेड़ देती है's image
0158

हवा के सींग न पकड़ो खदेड़ देती है

ShareBookmarks

हवा के सींग न पकड़ो खदेड़ देती है

ज़मीं से पेड़ों के टाँके उधेड़ देती है

मैं चुप कराता हूँ हर शब उमडती बारिश को

मगर ये रोज़ गई बात छेड़ देती है

ज़मीं सा दूसरा कोई सख़ी कहाँ होगा

ज़रा सा बीज उठा ले तो पेड़ देती है

रुँधे गले की दुआओं से भी नहीं खुलता

दर-ए-हयात जिसे मौत भेड़ देती है

Read More! Learn More!

Sootradhar