![हम तो कितनों को मह-जबीं कहते's image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/sootradhar_post/gullu_zara_su_kfjknjdnfn_d_iu.jpg)
हम तो कितनों को मह-जबीं कहते
आप हैं इस लिए नहीं कहते
चाँद होता न आसमाँ पे अगर
हम किसे आप सा हसीं कहते
आप के पाँव फिर कहाँ पड़ते
हम ज़मीं को अगर ज़मीं कहते
आप ने औरों से कहा सब कुछ
हम से भी कुछ कभी कहीं कहते
आप के बा'द आप ही कहिए
वक़्त को कैसे हम-नशीं कहते
वो भी वाहिद है मैं भी वाहिद हूँ
किस सबब से हम आफ़रीं कहते
Read More! Learn More!