गुलज़ार |  शेर's image
2K

गुलज़ार | शेर

ShareBookmarks

आइना देख कर तसल्ली हुई
हम को इस घर में जानता है कोई
---------------------------------

आप के बा'द हर घड़ी हम ने
आप के साथ ही गुज़ारी है

-------------------------------------

शाम से आँख में नमी सी है
आज फिर आप की कमी सी है

-----------------------------------------
ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा
क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा
------------------------------------------
वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर
आदत इस की भी आदमी सी है
-----------------------------------------------
कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ़
किसी की आँख में हम को भी इंतिज़ार दिखे
-------------------------------------------------
आदतन तुम ने कर दिए वादे
आदतन हम ने ए'तिबार किया
-------------------------------------------------
जिस की आँखों में कटी थीं सदियाँ
उस ने सदियों की जुदाई दी है
------------------------------------------------
कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ
उन से कितना कुछ कहने की कोशिश की
--------------------------------------------------
हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते
वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते
---------------------------------------------------
हम ने अक्सर तुम्हारी राहों में
रुक कर अपना ही इंतिज़ार किया
-----------------------------------------------------
कोई ख़ामोश ज़ख़्म लगती है
ज़िंदगी एक नज़्म लगती है
-----------------------------------------------------
अपने साए से चौंक जाते हैं
उम्र गुज़री है इस क़दर तन्हा
----------------------------------------------------
मैं चुप कराता हूँ हर शब उमडती बारिश को
मगर ये रोज़ गई बात छेड़ देती है
--------------------------------------------------------
तुम्हारे ख़्वाब से हर शब लिपट के सोते हैं
सज़ाएँ भेज दो हम ने ख़ताएँ भेजी हैं
---------------------------------------------------------
ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में
एक पुराना ख़त खोला अनजाने में
---------------------------------------------------------
कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था
आज की दास्ताँ हमारी है
-----------------------------------------------------------

Read More! Learn More!

Sootradhar