गर्म लाशें गिरीं फ़सीलों से's image
0156

गर्म लाशें गिरीं फ़सीलों से

ShareBookmarks

गर्म लाशें गिरीं फ़सीलों से

आसमाँ भर गया है चीलों से

सूली चढ़ने लगी है ख़ामोशी

लोग आए हैं सुन के मीलों से

कान में ऐसे उतरी सरगोशी

बर्फ़ फिसली हो जैसे टीलों से

गूँज कर ऐसे लौटती है सदा

कोई पूछे हज़ारों मीलों से

प्यास भरती रही मिरे अंदर

आँख हटती नहीं थी झीलों से

लोग कंधे बदल बदल के चले

घाट पहुँचे बड़े वसीलों से

 

Read More! Learn More!

Sootradhar