ऐसे ही रहा's image
0138

ऐसे ही रहा

ShareBookmarks

ऐसे ही रहा
जब जिसने, जैसा जी चाहा सो कहा,

तड़पा दिन-रात
काँटों ने बेध दिया फूलों-सा गात
बुझा हुआ दीपक ज्यों लहरों पर बहा

बंद मिले द्वार
लाँघ गयी मेरी ही छाया हर बार
निज का आघात क्रूर निज पर ही सहा

अब तो स्वर मौन
जीत और हार का विचार करे कौन!
प्राप्य क्या! अप्राप्य क्या! कहा क्या अनकहा!

ऐसे ही रहा
जब जिसने, जैसा जी चाहा सो कहा,

Read More! Learn More!

Sootradhar