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लौट के सावन की तरह

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जब चले जाएँगे हम लौट के सावन की तरह
याद आयेंगे प्रथम प्यार के चुम्बन की तरह.

ज़िक्र जिस दम भी छिड़ा उनकी गली में मेरा,
जाने शरमाए वो क्यूँ गाँव की दुल्हन की तरह.

मेरे घर कोई ख़ुशी आती तो कैसे आती?
उम्र-भर साथ रहा दर्द महाजन की तरह.

कोई कंघी न मिली जिससे सुलझ पाती वो,
ज़िंदगी उलझी रही ब्रह्म के दर्शन की तरह.

दाग मुझमें है कि तुझमें ये पता तब होगा,
मौत जब आएगी कपड़े लिए धोबन की तरह.

हर किसी शख्स की किस्मत का यही है क़िस्सा,
आए राजा की तरह, जाए वो निर्धन की तरह.

जिसमें इन्सान के दिल की न हो धडकन 'नीरज'
शायरी तो है वो अख़बार के कतरन की तरह.

 

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Sootradhar