शे'र कहने का मज़ा है अब तो's image
0192

शे'र कहने का मज़ा है अब तो

ShareBookmarks

शे'र कहने का मज़ा है अब तो

दिल का हर ज़ख़्म हरा है अब तो

इतना बे-सर्फ़ा न था दिल का लहू

बाग़ दामन पे खिला है अब तो

बुझ ही जाए न कहीं दिल का चराग़

वाक़ई तुंद हवा है अब तो

ज़िंदगी ज़िंदगी होती थी कभी

मर न जाने की सज़ा है अब तो

था कोई शख़्स कभी महरम-ए-दिल

वो मुझे भूल चुका है अब तो

ख़ूगर-ए-शहर हुए दीवाने

चाक-ए-दामन भी सिया है अब तो

दिल का ये हाल हमेशा तो न था

जाने क्या मुझ को हुआ है अब तो

Read More! Learn More!

Sootradhar