ज़िंदगानी का कोई मक़सद नहीं है's image
0248

ज़िंदगानी का कोई मक़सद नहीं है

ShareBookmarks

ज़िंदगानी का कोई मक़सद नहीं है

एक भी क़द आज आदमक़द नहीं है


राम जाने किस जगह होंगे क़बूतर

इस इमारत में कोई गुम्बद नहीं है


आपसे मिल कर हमें अक्सर लगा है

हुस्न में अब जज़्बा—ए—अमज़द नहीं है


पेड़—पौधे हैं बहुत बौने तुम्हारे

रास्तों में एक भी बरगद नहीं है


मैकदे का रास्ता अब भी खुला है

सिर्फ़ आमद—रफ़्त ही ज़ायद नहीं


इस चमन को देख कर किसने कहा था

एक पंछी भी यहाँ शायद नहीं है.

 

Read More! Learn More!

Sootradhar