मंगल's image
0859

मंगल

ShareBookmarks

कौने देलकै काठो के कंठी, कौने देलकै तिलकवो रे जान।
जान, कौने गुरु खोलल दसमी दुअरियो रे जान॥1॥
गुरु देलकै काठो के कंठी, सतगुरु देलकै तिलकवो रे जान।
जान, भेदी गुरु खोलल दसमी दुअरियो रे जान॥2॥
त्रिकुटी महल चढ़ी देखो दसो दिशा इँजोरियो रे जान।
जान, वही में देखो सतगुरु के सुरतियो रे जान॥3॥
रंग-बिरंग के बाजा बाजै, रंग-बिरंग फुलवाड़ियो रे जान।
जान, वही में घूमे सतगुरु मलिकवो रे जान॥4॥
गुरु मोरा हद-हद कैलकै, छन-छन अनहद सुनैलकै रे जान।
जान, वही रे बाजे मुरली बँसुरियो रे जान॥5॥
मुरली के शब्द सुनी सालै मोर कलेजवो रे जान।
जान,नाचै रे लागलै सुरति सुहागिन रे जान॥6॥
धर्मदास सतगुरु से कइलै अरजियो रे जान,
जान, गुरु गोविन्द सतलोक देखैलकै रे जान॥7॥

Read More! Learn More!

Sootradhar