खेलत रहलों बाबा चौवरिया आइ गये अनहार हो
राँध परोसिन भेंटहूँ न पायों डोलिया फँदाये लिये जात हो ।। 1।।
डोलिया से उतरो उत्तर दिसि धनि नैहर लागल आग हो
सब्दै छावल साहेब नगरिया जहवाँ लिआये लिये जात हो ।। 2।।
भादो नदिया अगम बहै सजनी सूझै वार न पार हो
अबकी बेर साहेब पार उतारो फिर न आइब संसार हो ।। 3।।
डोलिया से उतरो साहेब घर सजनी बैठो घूंघट टार हो
कहैं कबीर सुनो धर्म दासा पाये पुरुष पुरान हो ।। 4।।
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