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तहाँ मुझ कमीन की कौन चलावै

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तहाँ मुझ कमीन की कौन चलावै।
जाका अजहूँ मुनि जन महल न पावै।।
स्यौ विरंचि नारद मुनि गाबे, कौन भाँति करि निकटि बुलावै।।1
देवा सकल तेतीसौ कोडि, रहे दरबार ठाड़े कर जोड़ि।।2
सिध साधक रहे ल्यौ लाई, अजहूँ मोटे महल न पाइ।।3
सवतैं नीच मैं नांव न जांनां, कहै दादू क्यों मिले सयाना।।4

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