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ख़िज़ाँ जब तक चली जाती नहीं है

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ख़िज़ाँ जब तक चली जाती नहीं है

चमन वालों को नींद आती नहीं है

जफ़ा जब तक कि चौंकाती नहीं है

मोहब्बत होश में आती नहीं है

जो रोता हूँ तो हँसता है ज़माना

जो सोता हूँ तो नींद आती नहीं है

तुम्हारी याद को अल्लाह रक्खे

जब आती है तो फिर जाती नहीं है

कली बुलबुल से शोख़ी कर रही है

ज़रा फूलों से शरमाती नहीं है

जहाँ मय-कश भी जाएँ डरते डरते

वहाँ वाइज़ को शर्म आती नहीं है

नहीं मिलती तो हंगामे हैं क्या क्या

जो मिलती है तो पी जाती नहीं है

जवानी की कहानी दावर-ए-हश्र

सर-ए-महफ़िल कही जाती नहीं है

कहाँ तक शैख़ को समझाइएगा

बुरी आदत कभी जाती नहीं है

घड़ी भर को जो बहलाए मिरा दिल

कोई ऐसी घड़ी आती नहीं है

हँसी 'बिस्मिल' की हालत पर किसी को

कभी आती थी अब आती नहीं है

 

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Sootradhar