रतनारी हो थारी आँखड़ियाँ's image
0185

रतनारी हो थारी आँखड़ियाँ

ShareBookmarks

रतनारी हो थारी आँखड़ियाँ।
प्रेम छकी रसबस अलसाड़ी, जाणे कमलकी पाँखड़ियाँ॥
सुंदर रूप लुभाई गति मति, हो गईं ज्यूँ मधु माँखड़ियाँ।
रसिक बिहारी वारी प्यारी, कौन बसी निस काँखड़ियाँ॥

Read More! Learn More!

Sootradhar