बिरहानल दाह दहै तन ताप's image
0251

बिरहानल दाह दहै तन ताप

ShareBookmarks

बिरहानल दाह दहै तन ताप, करी बड़वानल ज्वाल रदी।
घर तैं लखि चन्द्रमुखीन चली, चलि माह अन्हान कछू जु सदी।
पहिलैं ही सहेलनि तैं सबके, बरजें हसि घाइ घसौ अबदी।
परस्यौ कर जाइ न न्हाय सु कौन, री अंग लगे उफनान नदी।।

Read More! Learn More!

Sootradhar