![बौरसरी मधुपान छक्यौ's image](/images/post_og.png)
बौरसरी मधुपान छक्यौ, मकरन्द भरे अरविन्द जु न्हायौ
माधुरी कुंज सौं खाइ धका, परि केतकि पाँडर कै उठि धायौ
सौनजुही मँडराय रह्यौ, बिनु संग लिए मधुपावलि गायौ
चंपहि चूरि गुलाबहिं गाहि, समीर चमेलिहि चूँवति आयौ।।
Read More! Learn More!
बौरसरी मधुपान छक्यौ, मकरन्द भरे अरविन्द जु न्हायौ
माधुरी कुंज सौं खाइ धका, परि केतकि पाँडर कै उठि धायौ
सौनजुही मँडराय रह्यौ, बिनु संग लिए मधुपावलि गायौ
चंपहि चूरि गुलाबहिं गाहि, समीर चमेलिहि चूँवति आयौ।।