धरती का पहला प्रेमी...'s image
0350

धरती का पहला प्रेमी...

ShareBookmarks
पी के फूटे आज प्यार के 
पानी बरसा री
हरियाली छा गई, 
हमारे सावन सरसा री

बादल छाए आसमान में, 
धरती फूली री
भरी सुहागिन, आज माँग में
भूली-भूली री
बिजली चमकी भाग सरीखी,
दादुर बोले री
अंध प्रान-सी बही,
उड़े पंछी अनमोले री
छिन-छिन उठी हिलोर 
मगन-मन पागल दरसा री

फिसली-सी पगडंडी, 
खिसकी आँख लजीली री
इंद्रधनुष रंग-रंगी आज मैं 
सहज रंगीली री
रुन-झुन बिछिया आज, 
हिला डुल मेरी बेनी री
ऊँचे-ऊँचे पैंग हिंडोला 
सरग-नसेनी री
और सखी, सुन मोर विजन 
वन दीखे घर-सा री

फुर-फुर उड़ी फुहार 
अलक दल मोती छाए री
खड़ी खेत के बीच किसानिन
कजली गाए री
झर-झर झरना झरे
आज मन-प्रान सिहाये री
कौन जनम के पुन्न कि ऐसे 
औसर आए री
रात सखी सुन, गात मुदित मन 
साजन परसा री
Read More! Learn More!

Sootradhar