हरि को धूप-दीप लै कीजै।
षटरस बींजन विविध भाँति के नित नित भोग धरीजै।
दही, मलाई, घी अरु माखन तापो पै लै दीजै।
’हरीचंद’ राधा-माधव-छबि, देखि बलैंया लीजै॥
Read More! Learn More!
हरि को धूप-दीप लै कीजै।
षटरस बींजन विविध भाँति के नित नित भोग धरीजै।
दही, मलाई, घी अरु माखन तापो पै लै दीजै।
’हरीचंद’ राधा-माधव-छबि, देखि बलैंया लीजै॥