धन्य ये मुनि वृन्दाबन बासी's image
0250

धन्य ये मुनि वृन्दाबन बासी

ShareBookmarks

धन्य ये मुनि वृन्दाबन बासी।
दरसन हेतु बिहंगम ह्वै रहे, मूरति मधुर उपासी।
नव कोमल दल पल्लव द्रुम पै, मिलि बैठत हैं आई।
नैनन मूँदि त्यागि कोलाहल, सुनहिं बेनु धुनि माई।
प्राननाथ के मुख की बानी, करहिं अमृत रस-पान।
'हरिचंद' हमको सौउ दुरलभ, यह बिधि गति की आन॥

 

Read More! Learn More!

Sootradhar