राम चरित's image
0133

राम चरित

ShareBookmarks

राम चरित सरसिज मधुप पावन चरित नितान्त।
जय तुलसी कवि कुल तिलक कविता कामिनि कान्त।1।

सुरसरि धारा सी सरस पूत परम रमणीय।
है तुलसी की कल्पना कल्पलता कमनीय।2।

अमित मनोहरता मथी अनुपमता आवास।
है तुलसी रचना रुचिर बहु शुचि सुरुचि बिकास।3।

सकल अलौकिकता सदन सुन्दर भाव उपेत।
है तुलसी की कान्त कृति निरुपम कला निकेत।4।

जबलौं कवि कुल कल्पना करे कलित आलाप।
अवनि लसित तब लौं रहे तुलसी कीर्ति कलाप।5।

 

Read More! Learn More!

Sootradhar