
रोते-रोते रात सो गई
झुकी न अलकें
झपी न पलकें
सुधियों की बारात खो गई
दर्द पुराना
मीत न जाना
बातों ही में प्रात हो गई
घुमड़ी बदली
बूँद न निकली
बिछुड़न ऐसी व्यथा बो गई
रोते-रोते रात सो गई
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रोते-रोते रात सो गई
झुकी न अलकें
झपी न पलकें
सुधियों की बारात खो गई
दर्द पुराना
मीत न जाना
बातों ही में प्रात हो गई
घुमड़ी बदली
बूँद न निकली
बिछुड़न ऐसी व्यथा बो गई
रोते-रोते रात सो गई