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बुलाती तुम्हें मनाली

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आसमान में बिजली ज़्यादा,

घर में बिजली कम

टेलीफ़ोन घुमाते जाओ,

ज़्यादातर गुमसुम

बर्फ़ ढँकी पर्वतमालाएँ,

नदियाँ, झरने, जंगल

किन्नरियों का देश,

देवता डोलें पल-पल

हरे-हरे बादाम वृक्ष पर,

लदे खड़े चिलगोज़े

गंधक मिला उबलता पानी,

खोई मणि को खोजे

दोनों बाँह पसार,

बुलाती तुम्हें मनाली

दावानल में मलयानिल-सी

महकी, मित्र, मनाली

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Sootradhar