
कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना
छोड़ो बेकार की बातों में, कहीं बीत न जाए रैना
कुछ रीत जगत् की ऐसी है, हर एक सुब्ह की शाम हुई
तू कौन है, तेरा नाम है क्या, सीता भी यहाँ बदनाम हुई
फिर क्यूँ संसार की बातों से, भीग गए तेरे नैना
हमको जो ताने देते हैं, हम खोए हैं इन रंगरलियों में
हमने उनको भी छुप-छुप के, आते देखा इन गलियों में
ये सच है, झूठी बात नहीं, तुम बोलो ये सच है ना
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