परदेसी बालम धन अकेली मेरा बिदेसी घर आवना's image
0178

परदेसी बालम धन अकेली मेरा बिदेसी घर आवना

ShareBookmarks

परदेसी बालम धन अकेली मेरा बिदेसी घर आवना।
बिर का दुख बहुत कठिन है प्रीतम अब आजावना।
इस पार जमुना उस पार गंगा बीच चंदन का पेड़ ना।
इस पेड़ ऊपर कागा बोले कागा का बचन सुहावना।

Read More! Learn More!

Sootradhar